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विवादों के जरिए सफलता की खोज

मन मनीष
मन मनीष
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विवादों के सहारे व्यक्तिगत लोकप्रियता हासिल करने की बातें अब पुरानी हो चली हैं। नयी कवायद है विवादों के जरिए व्यावसायिक सफलता पाने की। थ्री इडियट्स फिल्म को ही लें। यह चलचित्र बिना विवाद के भी हिट हो रहा था। चेतन भगत के उपन्यास पर आधारित होने का विवाद संभवत उपन्यास को व्यावसायिक लाभ अवश्य पहुंचा सकता है। व्यावसायिक सफलता अर्जित करने की कोशिश में किसी भी नए उपक्रम को देश और दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए प्रवेश रणनीति के रूप में विवाद उत्पन्न करने का मार्ग चुनना प्रवर्तकों का लक्ष्य सा बनता जा रहा है। अधिकतर प्रकरणों में विवाद उत्पन्न करना प्राथमिक लक्ष्य नहीं होता, ऐसा मैं मानता हूं, लेकिन मनोरंजन जगत इस अवधारणा के लिए अपवाद है।

उपन्यास, फिल्में, टीवी सीरियल और खेल जगत के लिए विवाद न केवल प्रचार का मुद्दा या सुर्खियों में बने रहने का कारण है बल्कि दर्शकों को बाध्य करने का फार्मूला यही है।

व्यावसायिक उपक्रमों के लिए बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा में आगे निकलने के लिए विवादों के उदाहरण सामने हैं। हाल में बहुराष्ट्रीय आईसक्रीम ब्रांड हगेन डाज ने भारतीय बाजार में अपने पर्दापण के साथ ही एक विवाद उत्पन्न किया भारतीय ग्राहकों के प्रवेश की पात्रता को लेकर कि कौन स्वाद ले सकेगा? इस लोकप्रिय ब्रांड ने यह तय कर दिया। बजाज आटो और टीवीएस की मोटर बाइक में समानता का विवाद फिर से कभी भी जोर पकड़ सकता है।

कई विवाद उत्पन्न होते या निर्मित होते हैं सहज जनभावना के चलते क्योंकि ये पब्लिक है, ये सब जानती है। वह समय भी अब दूर नहीं जब प्रबंधन संस्थान ‘विवाद प्रबंधन’ पाठयक्रम शुरू करने की योजना बना रहे होंगे। फिलहाल के लिए आइए मिलकर कहें-विवाद ओम तत्सत।

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